ग्वालियर नगर की प्राचीनतम प्रतिष्ठित संस्था जो पूर्व में ग्वालियर एजुकेशन सोसायटी के नाम से जानी जाती थी वर्तमान में मध्य भारत शिक्षा समिति के नाम से समाज में प्रतिष्ठित है। संस्था के उत्थान एवं सतत् संचालन के लिए स्वर्गीय श्री सदाशिव गणेश उपाख्य बाबा गोखले एवं डॉ हरि रामचन्द्र दिवेकर का योगदान अविस्मरणीय है। स्वर्गीय बाबा गोखली इस संस्था को संस्थापक सदस्यों में अन्यतम थे। समिति की स्थापना 21 जुलाई 1937 को की गई।
कालान्तर से 1945 में ग्वालियर नरेश श्रीमंत महाराजा जीवाजीराव सिंधिया द्वारा प्रदत्त जीवाजीगंज स्थित बालदे की भूमि पर समिति के कला संकाय, 1951 में वाणिज्य संकाय तथा 1957 में विज्ञान संकाय की कक्षाये आरंभ हुई।
1957 में बीए की कक्षाएं आरंभ होने के पश्चात् 1969 में स्वतंत्र महा विद्यालय के रूप में विकसित यह संस्थान वर्तमान में हिंदी,संस्कृत, अंग्रेजी, इतिहास, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, संगीत, चित्रकला, भूगोल एवं वाणिज्य आदि विषयों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर अध्ययन की सुविधा से समृद्ध हैं सात विषयों में शोध केंद्र के रूप में मान्य, यह नगर का महत्वपूर्ण संस्थान हैं।
उत्तरोत्तर प्रगति करते हुए विधि एवं शिक्षा में स्नातक के लिए स्वतंत्र स्थापित महाविद्यालय वस्तुतः माधव विद्यालय के ही अंग है। महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना , राष्ट्रीय कैडेट कोर, समृद्ध ग्रंथालय, कंप्यूटर कक्ष एवं पठन पाठन की आधुनिक तकनीक से परिपूर्ण हैं। कला एवं वाणिज्य में स्नातकोत्तर तक अध्ययन की सुविधा के साथ साथ बीकॉम कंप्यूटर के अध्ययन की भी व्यवस्था है।
संस्थान में शैक्षिणेत्तर गतिविधियों के रूप में एन.एस.एस, एन.सी.सी, सांस्कृतिक गतिविधियाँ एवं क्रीड़ा विभाग है। महाविद्यालय के छात्र /छात्राए शैक्षिणेत्तर गतिविधियों में भी राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित कर रहे हैं।
यह महाविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षानीति 2020 की अनुशंसाओं, अपेक्षाओ और सुझावों के साथ आपके उज्ज्वल और आत्मनिर्भर भविष्य को गढ़ने हेतु संकल्पित है।
यही है ज्ञान का मंदिर कला वाणिज्य का मंदिर । ये माधव महाविद्यालय हमारी शान का मंदिर ।।
यही गंगा, यही युमना, यही है भारती- भास्कर । त्रिवेणी है यही अपनी मिले हैं सत्य - शिव सुन्दर ।।
यही तीरथ यही संगम ये है सद्मार्ग का मंदिर। यही है ज्ञान का मंदिर कला वाणिजय का मंदिर ।। (१)
कथा संगीत की कहते, जहाँ की धूल के कण-कण । घराने ग्वालियर की तान से झंकृत दिशा दस-दस ।।
यहीं पर है बना यह,
राष्ट्र के उत्थान का मंदिर। यही है ज्ञान का मंदिर कला वाणिज्य का मंदिर ।। (२)
हुये माधव जियाजी आदि सब कथा है काल अन्तर की । - यही स्थल, जहाँ घोड़ा बंधा था रानी झाँसी का ।।
यही है वीरता की मूर्ति, के अवसान का मंदिर। यही है ज्ञान का मंदिर, कला वाणिज्य का मंदिर ।। (३)
यही है सत्य का मंदिर
यही है न्याय का मंदिर ।
यही तप त्याग का मंदिर
यही स्वाध्याय का मंदिर ||
ये बाबा गोखले के त्याग और परमार्थ का मंदिर || यही है ज्ञान का मंदिर। कला- वाणिज्य का मंदिर । । (४)